गहराई तक जाने से महिलाओं को मिलता है अधिक सुख – शोध

क्या आपने कभी सोचा है कि प्यार और साइंस का रिश्ता कितना गहरा हो सकता है? नहीं, नहीं, हम यहाँ स्टेशनरी की बात नहीं कर रहे, बल्कि एक ऐसे तथ्य की बात कर रहे हैं जो शायद आपके दिल को हल्की-सी गुदगुदी दे और दिमाग को सोचने पर मजबूर कर दे। तो तैयार हो जाइए, क्योंकि आज हम एक ऐसी रिसर्च की बात करने जा रहे हैं जो रोमांस के राज़ को थोड़ा-सा खोलती है।


The Journal of Sexual Medicine में छपी एक स्टडी का दावा है कि गहरी वजाइनल पेनिट्रेशन महिलाओं में वजाइनल ऑर्गेज्म की संभावना को बढ़ा सकती है। अब इसे सुनकर कुछ लोग शायद मुस्कुरा दें, लेकिन साइंस इस बात को बड़े गंभीरता से लेता है।

रिसर्च बताती है कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि गहरी उत्तेजना वजाइना के उन संवेदनशील हिस्सों को छूती है, जैसे सर्विक्स और जी-स्पॉट, जो उत्तेजना को बढ़ाते हैं और ऑर्गेज्म को अधिक नियमित बनाते हैं। आसान भाषा में कहें तो यह थोड़ा ऐसा है जैसे किसी छिपे हुए बटन को दबाना, जो सही समय पर सारी रोशनी जला दे!
लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती। स्टडी यह भी कहती है कि वजाइनल ऑर्गेज्म का विकास शायद महिलाओं के पार्टनर चुनने की प्रणाली का हिस्सा रहा हो। कैसे? यह सुझाव देती है कि औसत से बड़े पेनिस को तरजीह देने की यह प्रवृत्ति शायद प्रकृति का तरीका हो, जो महिलाओं को बेहतर मेट चुनने में मदद करता हो। अब यहाँ थोड़ा हास्य जोड़ें – क्या प्रकृति ने सचमुच हमें एक “साइज़ मैटर्स” का सबक दे दिया?

जितना गहरा जाएगा उतना मज़ा (शोध)

दूसरी ओर, एक और रिसर्च इस बात को और पक्का करती है। इस स्टडी का कहना है कि गहरी उत्तेजना से उत्तेजित होने से सीधा संबंध चरमसुख बार बार मिल रह है, इस बात पर भी निर्भर करता है। यहाँ न्यूरोफिजियोलॉजिकल प्रोजेक्शंस की बात की गई है – मतलब वजाइना और सर्विक्स के गहरे हिस्सों से आने वाली संवेदनाएं दिमाग तक ऐसे संकेत भेजती हैं, जो खास एहसास को और असरदार बनाते हैं।


तो क्या यह सब सुनकर आपको लगता है कि साइंस ने प्यार को एक फॉर्मूले में बाँध दिया? शायद नहीं। क्योंकि प्यार अभी भी वही जादू है, जो दो लोगों के बीच की केमिस्ट्री से बनता है। लेकिन हाँ, यह रिसर्च हमें यह ज़रूर बताती है कि हमारा शरीर और दिमाग कितने कमाल के तरीके से एक-दूसरे से जुड़े हैं। यह थोड़ा ऐसा है जैसे कोई पुरानी कहावत को नया रंग देना “दिल से दिल तक का रास्ता शरीर से होकर गुज़रता है।”


अब अगर आप सोच रहे हैं कि इस जानकारी का क्या करें, तो यहाँ एक छोटी-सी सलाह ये है कि इसे अपने पार्टनर के साथ हल्के-फुल्के अंदाज़ में शेयर करें। शायद इससे आपकी बातचीत में एक नया मज़ेदार मोड़ आए। लेकिन ध्यान रहे, हर इंसान अलग होता है, और प्यार में कोई एक फॉर्मूला सब पर फिट नहीं बैठता। साइंस भले ही कुछ पैटर्न बता दे, लेकिन असली कहानी तो आपकी अपनी है।


यह रिसर्च हमें यह भी सोचने पर मजबूर करती है कि सेक्सुअल हेल्थ और सुख को समझना कितना ज़रूरी है। हमारे समाज में ये विषय अक्सर दबे-छुपे रहते हैं, लेकिन अगर हम इन्हें खुलकर समझें, तो शायद अपने रिश्तों को और बेहतर बना सकें। तो अगली बार जब आप अपने पार्टनर के साथ हों, तो इस साइंस को थोड़ा याद करें – और हाँ, ज़रूरत पड़े तो एक हल्की-सी मुस्कान के साथ कहें, “देखो, साइंस भी हमारी टीम में है!”
इस स्टडी से यह भी पता चलता है कि महिलाओं की सेक्सुअलिटी को लेकर अभी बहुत कुछ जानना बाकी है। यह हमें याद दिलाती है कि हर शरीर एक पहेली है, और इसे सुलझाने में साइंस हमारी मदद कर सकती है। तो चलिए, इस गहरे राज़ को थोड़ा हल्के ढंग से लें, और प्यार को उसकी पूरी आज़ादी के साथ जीने दें – साइंस के साथ या उसके बिना!

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